संतकबीरनगर। 28 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस-2020, की जनपद स्तरीय परियोजना प्रस्तुतीकरण आज दिनांक 30-12-2020 को संपन्न हुआ। इसका मुख्य विषय सतत जीवन के लिए विज्ञान है। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (एन.सी.एस.टी.सी.) उत्प्रेरित करती है। इसका प्रमुख उद्देश्य देश के कोने - कोने में जाकर बच्चों में छिपी हुई प्रतिभा के अंकुरण को निखार कर वैज्ञानिक सोच को राष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत करना है। इसमें 10 से 17 वर्ष आयु के विद्यालय के या उससे बाहर के बच्चे प्रतिभाग करते हैं। इस वर्ष कोविड-19 के कारण जनपद में ऑनलाइन स्तर पर प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन कराया गया था। जिसमें 15 विद्यालयों के 109 परियोजनाएं रजिस्टर की गई थी, जिसमें सबसे अधिक परियोजना खलीलाबाद तहसील से आई है इनकी संख्या 93 है। इन 28 परियोजनाओं का लिखित तथा मौखिक मूल्यांकन निर्णायक मंडल के तीन सम्मानित सदस्यों द्वारा किया गया। इनमें इसरो के वैज्ञानिक/इंजीनियर-एस.सी. शांतनु श्रीवास्तव, जनपद अकादमिक समन्वयक डॉ.आर.के.सिंह तथा मैनेजर-बिजनेस डेवलपमेंट स्टेमरोबो टेक्नोलॉजी अखिलेश कुमार सिंह सम्मिलित थे। 2 दिन चले इस मूल्यांकन में निर्णायक मंडल को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉक्टर विशाल सिंह चंदेल, हेड अनुप्रयुक्त विज्ञान और मानविकी तथा डायरेक्टर राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज अंबेडकर नगर ने कहा कि छात्रों की परियोजना में सदैव नवीनीकरण होना चाहिए तथा लोकल स्तर पर चुनी गई समस्याओं के निदान का नवीन उपाय सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने लोकल स्तर की समस्याओं का निदान सुझाने के लिए बाल वैज्ञानिकों के परियोजनाओं की प्रशंसा की। विशिष्ट अतिथि के रूप में रामकुमार सिंह प्रधानाचार्य हीरालाल रामनिवास इंटर कॉलेज ने राज्य स्तर के लिए चयनित बाल वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए राज्य स्तर पर जनपद का नाम रोशन करने का आशीर्वाद दिया।
संतकबीरनगर। 28 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस-2020, की जनपद स्तरीय परियोजना प्रस्तुतीकरण आज दिनांक 30-12-2020 को संपन्न हुआ। इसका मुख्य विषय सतत जीवन के लिए विज्ञान है। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (एन.सी.एस.टी.सी.) उत्प्रेरित करती है। इसका प्रमुख उद्देश्य देश के कोने - कोने में जाकर बच्चों में छिपी हुई प्रतिभा के अंकुरण को निखार कर वैज्ञानिक सोच को राष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत करना है। इसमें 10 से 17 वर्ष आयु के विद्यालय के या उससे बाहर के बच्चे प्रतिभाग करते हैं। इस वर्ष कोविड-19 के कारण जनपद में ऑनलाइन स्तर पर प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन कराया गया था। जिसमें 15 विद्यालयों के 109 परियोजनाएं रजिस्टर की गई थी, जिसमें सबसे अधिक परियोजना खलीलाबाद तहसील से आई है इनकी संख्या 93 है। इन 28 परियोजनाओं का लिखित तथा मौखिक मूल्यांकन निर्णायक मंडल के तीन सम्मानित सदस्यों द्वारा किया गया। इनमें इसरो के वैज्ञानिक/इंजीनियर-एस.सी. शांतनु श्रीवास्तव, जनपद अकादमिक समन्वयक डॉ.आर.के.सिंह तथा मैनेजर-बिजनेस डेवलपमेंट स्टेमरोबो टेक्नोलॉजी अखिलेश कुमार सिंह सम्मिलित थे। 2 दिन चले इस मूल्यांकन में निर्णायक मंडल को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉक्टर विशाल सिंह चंदेल, हेड अनुप्रयुक्त विज्ञान और मानविकी तथा डायरेक्टर राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज अंबेडकर नगर ने कहा कि छात्रों की परियोजना में सदैव नवीनीकरण होना चाहिए तथा लोकल स्तर पर चुनी गई समस्याओं के निदान का नवीन उपाय सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने लोकल स्तर की समस्याओं का निदान सुझाने के लिए बाल वैज्ञानिकों के परियोजनाओं की प्रशंसा की। विशिष्ट अतिथि के रूप में रामकुमार सिंह प्रधानाचार्य हीरालाल रामनिवास इंटर कॉलेज ने राज्य स्तर के लिए चयनित बाल वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए राज्य स्तर पर जनपद का नाम रोशन करने का आशीर्वाद दिया।