सेमरियावां (संतकबीरनगर)। गुरुवार को क्षेत्र के विभिन्न गांवों में लोगो ने अपने घरो में रहकर लाकडाउन का पालन करते हुए शब-ए-बारात की रात में अल्लाह की बारगाह में तौबा, इस्तगफार व इबादत करके अपने-अपने गुनाहों की माफी मांगी और कोरोना वायरस जैसी वबा से निजात के लिए दुआएं की। क्षेत्र के दुधारा, लोहरौली, परसा शेख, मदना, मोहम्मद गढ़, गंगैचा, दशावां, बजहरा, अगया, छाता व विभिन्न गांवो में लोगो ने लाकडाउन का पालन करते हुए शब-ए-बरात की रात में मस्जिदों और कब्रिस्तान में न जाकर अपने घरो में रहकर कुरान की तिलावत तसबीह व नफली नमाज अदा कर अल्लाह की बारगाह में रात भर इबादत-ए-इलाही में मशगूल रहे और कोविड-19 महामारी से निजात के लिए दुआएं की। मौलाना फुजैल अहमद नदवी ने कहा कि इस बाबरकत रात को अल्लाह गुनहगारों की बख्शिश फरमाता है शाबान की पन्द्रहवीं रात बख्शिश और मगफिरत की रात है हमारी दुआएं इसलिए कबूल नहीं होतीं कि हम अल्लाह की नाफरमानी से बाज नहीं आते। दुआ एक अहम इबादत है इसके अलावा कोई चीज तकदीर को बदल नहीं सकती। आज की रात को विशेष रूप से अल्लाह की रहमत बन्दों की दुआ की मुन्तजिर रहती है कि कब बन्दा दुआ करे और अल्लाह की बरस जाये। तौबा व इस्तगफार और गुनाहों की माफी मांगना अल्लाह की बारगाह में पसंदीदा दुआएं हैं जिस व्यक्ति को अल्लाह के सामने मांगने की तौफीक नसीब हो जाये उस पर अल्लाह की रहमत व फज्ल के दरवाजे खुल जाते हैं अगर मुश्किल वक्त में दुआओं की कबूलियत चाहते हो तो खुशहाली के समय में अल्लाह से दुआ मांगते रहो। मौलाना शोएब अहमद नदवी ने बताया कि शाबान माह की पन्द्रहवीं रात को शब-ए- बरात कहा जाता है शब का अर्थ रात और बरात का मतलब छुटकारे के हैं यह रहमत और बरकत वाली रात हैं इस रात को जिसने भी सच्चे दिल से अपने गुनाहों की तौबा की अल्लाह उसके सभी गुनाह माफ कर देता है। उन्होंने कहा कि सिला रहमी, रिज्के हलाल, रिश्तों का एहतराम दुआओं की कबूलियत में मददगार हैं। उन्होंने कहा इस बाबरकत रात को जो भी दुआएं मांगी जाये अल्लाह उसे कूबूल करता हैं।